इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ के दूसरे अहम सत्र 281 एंड बियॉन्ड- मेकिंग ऑफ चैंपियन में पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण ने कहा कि वह अनिल कुंबले को भारतीय क्रिकेट टीम का कोच बने रहना देखना चाहते थे. बता दें, 2016 में बतौर कोच अनिल कुंबले की नियुक्ति लक्ष्मण, सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली की क्रिकेट एडवाइजरी कमेटी (सीएसी) की सिफारिश पर हुई थी.
जब कुंबले कोच थे तो भारतीय टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया और टीम चैंपियन ट्रॉफी के फाइनल तक पहुंची. इस दौरान कुंबले और कप्तान विराट कोहली के बीच मतभेद की खबर आई और उसके कुछ दिन बाद भारत, पाकिस्तान से चैंपियन ट्रॉफी का फाइनल हार गई. इसके बाद कुंबले ने कोच के पद से इस्तीफा दे दिया था.
शुक्रवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ में वीवीएस लक्ष्मण ने कहा कि कुंबले ने कोच और उससे पहले भारत का कप्तान रहते हुए अच्छा प्रदर्शन किया था. लक्ष्मण ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि कोहली ने कोई लाइन पार की थी. हमने सीएसी में सोचा कि अनिल को कोच बने रहना चाहिए, लेकिन कुंबले ने सोचा कि पद छोड़ने का यह निर्णय सही है. मैं हमेशा लोगों को बताता हूं कि सीएसी विवाह सलाहकार नहीं है. हमें सबसे अच्छा कोच ढूंढने का काम सौंपा गया था. हमने कुंबले को इस पद के लिए उचित समझा था. दुर्भाग्यवश, विराट कोहली और अनिल कुंबले के बीच बात नहीं बन पाई.
अपनी 281 रन की पारी को याद करते हुए लक्ष्मण ने कहा कि इस पारी ने उनकी जिन्दगी नहीं बदली. उनके करियर के लिए ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2000 में सिडनी टेस्ट के दौरान 167 रन की पारी अहम है. बॉलिंग के लिहाज से ऑस्ट्रेलिया की सबसे मजबूत टीम थी और यह स्कोर करने के बाद मुझे कॉन्फिडेंस मिला कि मैं अब किसी भी परिस्थिति में खेल सकता हूं.
वीवीएस ने कहा कि आज क्रिकेट एक स्किल बेस्ड स्पोर्ट से बदलकर पावर या फिटनेस बेस्ड स्पोर्ट बन गया है. पहले जब हम खेलते थे, तब हम लोगों का फिटनेस टेस्ट या ब्लिप टेस्ट होता था, लेकिन इस टेस्ट के नतीजे से खिलाड़ी की टीम में जगह तय नहीं होती थी. टेस्ट फेल होने पर भी खिलाड़ी टीम में रह सकता था. लेकिन अब फिटनेस टेस्ट टीम में जगह पाने के लिए जरूरी हो गया है. यह क्रिकेट के लिए अच्छा है.
आईपीएल पर बोलते हुए लक्ष्मण ने कहा कि इससे क्रिकेट में इतना फर्क पड़ा है कि अब डिफेंसिव स्ट्रैटेजी के लिए जगह नहीं है. यह इसलिए अच्छा है क्योंकि पहले खिलाड़ियों को भारतीय टीम में जगह बनानी पड़ती थी और इसके बाद ही उनका फ्यूचर सिक्योर होता था, लेकिन अब बिना भारतीय टीम में जगह बनाए नए लड़कों को आईपीएल से फाइनेंनशियली मदद मिल जाती है.
Friday, December 21, 2018
Friday, December 7, 2018
Exit Poll सबसे सटीक, सबसे पहले: 5 राज्यों में किसका होगा राजतिलक?
देश के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को 2019 लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार है. वहीं, मिजोराम में कांग्रेस और तेलंगाना में टीआरएस की सरकार है.
देश का नंबर 1 चैनल आजतक सबसे सटीक एक्जिट पोल लेकर आ रहा है. आजतक हमेशा चुनाव के बाद सबसे सटीक और सबसे पहले एक्जिट पोल लेकर आता रहा है. इस बार भी हमारी तैयारी बड़ी है. एक्जिट पोल और चुनावी नतीजों का पूरा विश्लेषण आपको यहां मिलेगा. इस एग्जिट पोल से कुछ हद तक चुनावी मुकाबले की तस्वीर साफ हो पाएगी. हालांकि, वोटों की गिनती 11 दिसंबर को होगी और उसी दिन अंतिम फैसला भी सामने आएगा.
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में विधानसभा की 230 सीटें हैं. 2013 में हुए चुनाव में यहां बीजेपी को 168 सीटें मिली थीं और शिवराज सिंह चौहान तीसरी बार मुख्यमंत्री बने थे. कांग्रेस को 58 सीटों से संतोष करना पड़ा था. इस बार कांग्रेस ने पूरा दम लगाया है. यहां कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को सीएम का दावेदार बताया जा रहा है, वहीं बीजेपी जीत के प्रति आश्वस्त है और शिवराज को ही सीएम के चेहरे के तौर पर पेश किया है. 2018 के चुनाव के लिए 28 नवंबर को वोट डाले गए थे. 11 दिसंबर को नतीजे आएंगे.
राजस्थान
राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं, लेकिन चुनाव 199 सीटों के लिए हुए हैं. बता दें कि 2013 के चुनाव में बीजेपी को 163 सीटें मिलीं थीं और वसुंधरा राजे सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाया गया था. यहां अशोक गहलोत के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस की सरकार को बुरी तरह हार का मुंह देखना पड़ा था और कांग्रेस को केवल 21 सीटें मिली थीं. इस बार राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस ने जमीन पर संघर्ष किया है और पार्टी यह दावा कर रही है कि सत्ता परिवर्तन होगा, सचिन पायलट को सीएम पद का दावेदार माना जा रहा है. यहां 7 दिसंबर को वोट डाले गए. 11 दिसंबर को मतगणना होगी.
छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं, बीजेपी के रमन सिंह लगातार 3 बार से यहां मुख्यमंत्री हैं. 2013 के चुनाव में बीजेपी को 49 सीटें मिली थीं, वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को 41 सीटों से संतोष करना पड़ा था. कांग्रेस इस बार आश्वस्त है कि एंटी इन्कंबेंसी की वजह से उसे सत्ता मिलेगी. दूसरी ओर, बीजेपी रमन सिंह के नाम पर ही दांव खेल रही है. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी बसपा से गठबंधन कर दोनों का खेल बिगाड़ने में लगी है. नक्सलियों की वजह से यहां मतदान 2 चरणों- 12 नवंबर और 20 नवंबर को हुआ था. यहां भी मतगणना 11 दिसंबर को होगी.
तेलंगाना
2014 के चुनाव के दौरान आंध्र प्रदेश और तेलंगाना एक ही राज्य थे. राज्य का बंटवारा होने के बाद तेलंगाना के हिस्से में 119 सीटें आईं. इनमें तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को 90 सीटें और कांग्रेस के हिस्से में 13 सीटें आईं. टीआरएस के अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव को सीएम बनाया गया. यहां कांग्रेस और टीआरएस में लड़ाई है.
राज्य बनाने का श्रेय दोनों पार्टियां लेना चाहती हैं. इसे देखते हुए कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने केवल तेलंगाना में ही सभा भी की. कांग्रेस को लगता है कि केंद्र में यूपीए सरकार के दौरान उसने राज्य का निर्माण किया. चंद्रशेखर राव पहले तो कांग्रेस को श्रेय देते रहे, लेकिन बाद में उन्होंने इसका सारा श्रेय अपने नाम कर लिया. समय से पहले ही चंद्रशेखर राव ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश भी कर दी. तेलंगाना में 7 दिसंबर को वोटिंग हुई. 11 दिसंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे.
देश का नंबर 1 चैनल आजतक सबसे सटीक एक्जिट पोल लेकर आ रहा है. आजतक हमेशा चुनाव के बाद सबसे सटीक और सबसे पहले एक्जिट पोल लेकर आता रहा है. इस बार भी हमारी तैयारी बड़ी है. एक्जिट पोल और चुनावी नतीजों का पूरा विश्लेषण आपको यहां मिलेगा. इस एग्जिट पोल से कुछ हद तक चुनावी मुकाबले की तस्वीर साफ हो पाएगी. हालांकि, वोटों की गिनती 11 दिसंबर को होगी और उसी दिन अंतिम फैसला भी सामने आएगा.
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में विधानसभा की 230 सीटें हैं. 2013 में हुए चुनाव में यहां बीजेपी को 168 सीटें मिली थीं और शिवराज सिंह चौहान तीसरी बार मुख्यमंत्री बने थे. कांग्रेस को 58 सीटों से संतोष करना पड़ा था. इस बार कांग्रेस ने पूरा दम लगाया है. यहां कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया को सीएम का दावेदार बताया जा रहा है, वहीं बीजेपी जीत के प्रति आश्वस्त है और शिवराज को ही सीएम के चेहरे के तौर पर पेश किया है. 2018 के चुनाव के लिए 28 नवंबर को वोट डाले गए थे. 11 दिसंबर को नतीजे आएंगे.
राजस्थान
राजस्थान विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं, लेकिन चुनाव 199 सीटों के लिए हुए हैं. बता दें कि 2013 के चुनाव में बीजेपी को 163 सीटें मिलीं थीं और वसुंधरा राजे सिंधिया को मुख्यमंत्री बनाया गया था. यहां अशोक गहलोत के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस की सरकार को बुरी तरह हार का मुंह देखना पड़ा था और कांग्रेस को केवल 21 सीटें मिली थीं. इस बार राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस ने जमीन पर संघर्ष किया है और पार्टी यह दावा कर रही है कि सत्ता परिवर्तन होगा, सचिन पायलट को सीएम पद का दावेदार माना जा रहा है. यहां 7 दिसंबर को वोट डाले गए. 11 दिसंबर को मतगणना होगी.
छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं, बीजेपी के रमन सिंह लगातार 3 बार से यहां मुख्यमंत्री हैं. 2013 के चुनाव में बीजेपी को 49 सीटें मिली थीं, वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को 41 सीटों से संतोष करना पड़ा था. कांग्रेस इस बार आश्वस्त है कि एंटी इन्कंबेंसी की वजह से उसे सत्ता मिलेगी. दूसरी ओर, बीजेपी रमन सिंह के नाम पर ही दांव खेल रही है. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पार्टी बसपा से गठबंधन कर दोनों का खेल बिगाड़ने में लगी है. नक्सलियों की वजह से यहां मतदान 2 चरणों- 12 नवंबर और 20 नवंबर को हुआ था. यहां भी मतगणना 11 दिसंबर को होगी.
तेलंगाना
2014 के चुनाव के दौरान आंध्र प्रदेश और तेलंगाना एक ही राज्य थे. राज्य का बंटवारा होने के बाद तेलंगाना के हिस्से में 119 सीटें आईं. इनमें तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को 90 सीटें और कांग्रेस के हिस्से में 13 सीटें आईं. टीआरएस के अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव को सीएम बनाया गया. यहां कांग्रेस और टीआरएस में लड़ाई है.
राज्य बनाने का श्रेय दोनों पार्टियां लेना चाहती हैं. इसे देखते हुए कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने केवल तेलंगाना में ही सभा भी की. कांग्रेस को लगता है कि केंद्र में यूपीए सरकार के दौरान उसने राज्य का निर्माण किया. चंद्रशेखर राव पहले तो कांग्रेस को श्रेय देते रहे, लेकिन बाद में उन्होंने इसका सारा श्रेय अपने नाम कर लिया. समय से पहले ही चंद्रशेखर राव ने विधानसभा भंग करने की सिफारिश भी कर दी. तेलंगाना में 7 दिसंबर को वोटिंग हुई. 11 दिसंबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे.
Tuesday, December 4, 2018
बजरंग दल और भाजयुमो से जुड़े हुए थे इंस्पेक्टर सुबोध सिंह के हत्यारोपी
बुलंदशहर में हुई हिंसा फैलाने वाले साजिशकर्ताओं की धरपकड़ अब शुरू हो गई है. सोमवार रात से ही जारी छापेमारी में पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ्तार किया और 75 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया. अब इस हिंसा के मुख्य साजिशकर्ता के नाम का खुलासा भी हो गया है. योगेश राज पर वहां मौजूद लोगों को भड़काने का आरोप है.
योगेश राज (जिला अध्यक्ष, प्रवीण तोगड़िया ग्रुप), उपेंद्र राघव (बजरंग दल), शिखर अग्रवाल (पूर्व अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा) का नाम सुबोध सिंह की हत्या के साजिश रचने में आ रहा है. जिन तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है वो देवेंद्र, चमन और आशीष चौहान हैं.
पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में भी योगेश राज का नाम है. एफआईआर के मुताबिक, योगेश राज अपने साथियों के सात मिलकर भीड़ को भड़का रहा था. सोमवार दोपहर करीब 1.15 बजे, जब पुलिस चौकी पर भड़की हुई भीड़ पहुंची तो इंस्पेक्टर समेत अन्य अधिकारियों ने उन्हें शांत कराने की कोशिश की.
लेकिन हथियारों से लैस भीड़ नहीं थमी, इसी दौरान पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की लाइसेंसी पिस्टल, मोबाइल फोन को उपद्रवियों ने छीन लिया. वहीं, वायरलैस सेट को भी तोड़ दिया गया था.
आपको बता दें कि बुलंदशहर में गोकशी के शक में दर्ज करवाई गई एफआईआर में योगेश राज भी था. योगेश राज शिकायत करने वालों में शामिल था.
क्या हुआ बुलंदशहर में...?
गौरतलब है कि सोमवार (3 दिसंबर) को बुलंदशहर के स्याना थाना क्षेत्र के एक खेत में गोकशी की आशंका के बाद बवाल शुरू हुआ. जिसकी शिकायत मिलने पर सुबोध कुमार पुलिसबल के साथ मौके पर पहुंचे थे. इस मामले में एफआईआर दर्ज की जा रही थी, इतने में ही तीन गांव से करीब 400 लोगों की भीड़ ट्रैक्टर-ट्राली में कथित गोवंश के अवशेष भरकर चिंगरावठी पुलिस चौकी के पास पहुंच गई और जाम लगा दिया.
इसी दौरान भीड़ जब उग्र हुई तो पुलिस ने काबू पाने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े और जल्द ही वहां फायरिंग भी होने लगी. जिसमें सुबोध कुमार घायल हो गए और एक युवक भी जख्मी हो गया. सुबोध कुमार को अस्पताल ले जाने से रोका गया और उनकी कार पर जमकर पथराव भी किया गया. अब पुष्टि हुई है कि सुबोध कुमार की मौत गोली लगने से हुई है.
आपको बता दें कि बुलंदशहर के जिलाधिकारी के अनुसार, सुबोध कुमार के सिर में गोली लगी थी, जिस कारण उनकी मौत हुई है. उन्होंने यह भी बताया है कि हमले के बाद जब सुबोध कुमार ने खेत की तरफ जाकर खुद को बचाने की कोशिश की तो भीड़ ने उन पर वहां भी हमला किया.
योगेश राज (जिला अध्यक्ष, प्रवीण तोगड़िया ग्रुप), उपेंद्र राघव (बजरंग दल), शिखर अग्रवाल (पूर्व अध्यक्ष, भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा) का नाम सुबोध सिंह की हत्या के साजिश रचने में आ रहा है. जिन तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है वो देवेंद्र, चमन और आशीष चौहान हैं.
पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में भी योगेश राज का नाम है. एफआईआर के मुताबिक, योगेश राज अपने साथियों के सात मिलकर भीड़ को भड़का रहा था. सोमवार दोपहर करीब 1.15 बजे, जब पुलिस चौकी पर भड़की हुई भीड़ पहुंची तो इंस्पेक्टर समेत अन्य अधिकारियों ने उन्हें शांत कराने की कोशिश की.
लेकिन हथियारों से लैस भीड़ नहीं थमी, इसी दौरान पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की लाइसेंसी पिस्टल, मोबाइल फोन को उपद्रवियों ने छीन लिया. वहीं, वायरलैस सेट को भी तोड़ दिया गया था.
आपको बता दें कि बुलंदशहर में गोकशी के शक में दर्ज करवाई गई एफआईआर में योगेश राज भी था. योगेश राज शिकायत करने वालों में शामिल था.
क्या हुआ बुलंदशहर में...?
गौरतलब है कि सोमवार (3 दिसंबर) को बुलंदशहर के स्याना थाना क्षेत्र के एक खेत में गोकशी की आशंका के बाद बवाल शुरू हुआ. जिसकी शिकायत मिलने पर सुबोध कुमार पुलिसबल के साथ मौके पर पहुंचे थे. इस मामले में एफआईआर दर्ज की जा रही थी, इतने में ही तीन गांव से करीब 400 लोगों की भीड़ ट्रैक्टर-ट्राली में कथित गोवंश के अवशेष भरकर चिंगरावठी पुलिस चौकी के पास पहुंच गई और जाम लगा दिया.
इसी दौरान भीड़ जब उग्र हुई तो पुलिस ने काबू पाने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े और जल्द ही वहां फायरिंग भी होने लगी. जिसमें सुबोध कुमार घायल हो गए और एक युवक भी जख्मी हो गया. सुबोध कुमार को अस्पताल ले जाने से रोका गया और उनकी कार पर जमकर पथराव भी किया गया. अब पुष्टि हुई है कि सुबोध कुमार की मौत गोली लगने से हुई है.
आपको बता दें कि बुलंदशहर के जिलाधिकारी के अनुसार, सुबोध कुमार के सिर में गोली लगी थी, जिस कारण उनकी मौत हुई है. उन्होंने यह भी बताया है कि हमले के बाद जब सुबोध कुमार ने खेत की तरफ जाकर खुद को बचाने की कोशिश की तो भीड़ ने उन पर वहां भी हमला किया.
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